सद्आचरण की महिमा|| कबीर दास

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माँगन गै सो मर रहै, मरै जु माँगन जाहिं | तिनते पहिले वे मरे, होत करत हैं नहिं || जो किसी के यहाँ मांगने गया, जानो वह मर गया | उससे ...

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